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मेरे पापा (कविता)

rashtra
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मेरे पापा तुम सबसे महान
सारी बाधाओं का बस एक निदान, मेरे पापा तुम सबसे महान
जिनके कन्धों पर मैने खेला,
जो बड़े प्यार से ले जाते थे जो मुझको मेला,
जहाँ से खिलोने भरकर लाता था मै अपना थैला
लाड प्यार से रखा जिन्होंने, पाल पोष के किया बड़ा .
अजब निराली है उनकी शान. मेरे पापा तुम सबसे महान.
हर बालक का सपना होता है. अपने पापा जैसा महान बने .
उनके दिखाए मार्ग पर जीवन मै आगे बड़े
मेने भी सपना देखा था. पापा के व्यक्तित्व मै खुद को देखा था.
पर मै कितना भी कुछ बन जाऊगा, उनके जैसा न हो पाउँगा
वो तो है एक सच्चे इंसान, मेरे पापा तुम सबसे महान.
बचपन मै जब माँ घर पर ना होती थी तब मै कभी कभी रोता था,
तब मेरे पापा का स्नेहिल स्पर्श ही एक खुशहाली सी भर देता था
पापा तुम हो मेरी जान, मेरे पापा तुम सबसे महान
तुमने मुझको स्नेह दिया, तुमने मुझको खुशियाँ दी
भटक रहा था जब मै, तुम मार्गदर्शक बन कर आये
जीवन को कैसे जीना है कुछ दिव्य रहस्य समझाए
विश्वास नए जगाकर के तुम मुझे उचित मार्ग पर ले आये
धन्य हुआ में पाकर अदभुद ज्ञान, मेरे पापा तुम सबसे महान
इस दौड़ भागते जीवन में, मेने तुमको भुलाया है.
ऐसा आभाष हुआ जब भी तो मेरा अंतर्मन सच में रोया है.
बस मेरी यही अभिलाषा है कि स्नेह आपका बना रहे
आपके प्रेरणा की छाँव में जीवन मेरा चलता रहे.
बस बनी रहे आपके अधरों पर मुस्कान, मेरे पापा तुम सबसे महान.

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